सोमवार

बिहार प्रगतिशील लेखक संघ का उद्भव और विकास: भाग- 4.


...विश्वनाथ त्रिपाठी, प्रो. कमला प्रसाद, परमानन्द श्रीवास्तव, प्रो. देवेन्द्रनाथ शर्मा, डा. चन्द्रभूषण तिवारी जैसी बड़ी हस्तियाँ एवं विभिन्न जिलों से आये अनेक रचनाकार, सांस्कृतिकर्मी एवं कर्मठ  साथियों ने भाग लिया। उस समय सूबे का यह सबसे बड़ा आयोजन था। आचार्य शुक्ल पर बिहार में मुंगेर, पटना, औरंगाबाद आदि जगहों पर भी आयोजन हुए। प्रगतिशील आंदोलन की वैचारिक सांस्कृतिक भूमि को उर्वर करने में ऐसे आयोजनों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की । 1985 में 12-13 अक्टूबर जमशेदपुर में सम्पन्न आठवें राज्य सम्मेलन ने प्रगतिशील आंदोलन को अभूतपूर्व विस्तार और सांगठनिक सक्रियता दी। उस समय देश में आतंकवादी, अलगाववादी एवं जातिवादी ताकतें साम्रज्यवाद की मदद से भयानक रूप लेती जा रही थीं। उसी दौर में सैकड़ों बेकसूर लोगों के साथ प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तथा अकाली नेता लोंगोवाल तक की हत्या हुई। प्रगतिशील लेखक संघ बिहार ने पूरे देश में प्रतिगामी शक्तियों का घोर विरोध किया तथा लेखों एवं अन्य रचनाओं के माध्यम से राष्ट्रीय एवं सामाजिक एकता की भावना के प्रसार का प्रयत्न किया।
    1986 में लखनऊ में प्रलेस के राष्ट्रीय स्वर्ण जयन्ती समारोह के भव्य आयोजन के बाद बिहार के कई जिलों पटना, मोतिहारी, मुंगेर, बेगूसराय, राँची, सासाराम, देवघर, भागलपुर, समस्तीपुर आदि में स्थानीय इकाइयों द्वारा स्वर्णजयंती का आयोजन किया गया। स्वर्णजयंती समारोह शृंखला में ही बिहार प्रगतिशील लेखक संघ ने पटना में 1987 के मार्च महीने में एक सेमिनार का आयोजन किया, जिसमें ‘धर्मनिरपेक्षता और लेखक’ विषय पर डा. नामवर सिंह का महत्वपूर्ण व्याख्यान हुआ। दूसरे दिन ‘हिन्दी कविता के विकास में प्रगतिशील कविता का योगदान ’ विषय पर एक विचारगोष्ठी भी आयोजित की गई।
    बिहार राज्य प्रगतिशील लेखक संघ का नौंवा सम्मेलन 9-10 अप्रैल 1988 को सासाराम में, दसवां सम्मेलन 1994 में पटना तथा ग्यारहवां सम्मेलन 15-16 मार्च 1997 को मुजफ्फरपुर में हुआ। इस सम्मेलन को प्रख्यात आलोचक डा. विश्वनाथ त्रिपाठी, डा. खगेन्द्र ठाकुर, वरिष्ठ कवि भागवत रावत, अरुण कमल जैसे महत्वपूर्ण रचनात्मक व्यक्तियों ने विशिष्ठ गरिमा प्रदान की।
    बारहवां प्रांतीय सम्मेलन 23-24 मार्च, 2003 को गोदरगावाँ बेगूसराय में सम्पन्न हुआ। इस सम्मेलन में प्रसिद्ध आलोचक डा. नामवर सिंह, कालजयी यशस्वी कथाकार कमलेश्वर, डा. खगेन्द्र ठाकुर, अरुण कमल जैसे कई प्रखर व्यक्तियों का आगमन हुआ। इस सम्मेलन की  अभूतपूर्व  सफलता के कारण ही राष्ट्रीय अधिवेशन 2008 के लिए एक बार फिर बेगूसराय को मेजबान बनाया गया।
    बिहार का तेरहवां राज्य सम्मेलन ऐतिहासिक शहर बक्सर में 27-28 अक्टूबर 2007 को अविस्मरणीय अधिवेशन के रूप में सम्पन्न हुआ। प्रलेस राष्ट्रीय महासचिव प्रो. कमला प्रसाद की अध्यक्षता में ‘हिन्दी पट्टी का वैचारिक संकट’ विषय पर काफी महत्वपूर्ण विमर्श हुआ। डा. विश्वनाथ त्रिपाठी, डा. खगेन्द्र ठाकुर डा. ब्रजकुमार पाण्डेय एवं अरुण कमल सहित कई महत्वपूर्ण लेखकों एवं कवियों ने प्रस्तावित विषय पर अपने विचार रखे। दूसरे दिन काव्य संध्या का आयोजन  भी अभूतपूर्व रहा।
     प्रगतिशील लेखक संघ का चैदहवां राष्ट्रीय अधिवेशन बिहार के गोदरगावाँ (बेगूसराय) में 9-10-11 अप्रैल 2008 को सम्पन्न हुआ। इस ऐतिहासिक सम्मेलन में भारत सहित अन्य देशों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया। चार सौ से अधिक लेखकों-रचनाकारों की भागीदारी ने इससमारोह को कालजयी बना दिया। रंगयोद्धा हबीब तनवीर, आलोचक डा. नामवर सिंह, असगर अली इंजीनियर, डा. विश्वनाथ त्रिपाठी, प्रो. कमला प्रसाद आदि की उपस्थिति में इस महासम्मेलन ने बिहार प्रलेस में नई ऊर्जा का संचार किया, फिर ताबड़तोड़ कई आयोजनों एवं गतिविधियों से बिहार प्रलेस अग्रसर होते रही।
    बिहार प्रगतिशील लेखक संघ के इन सम्मेलनों ने अराजक समय के विरूद्ध निरन्तर एक बौद्धिक सांस्कृतिक परिवेश का निर्माण किया है तथा जनतांत्रिक मूल्यों के पक्ष में जनशक्ति जागृत की है। राज्य की विभिन्न इकाइयों की सक्रियता ने प्रगतिशील आंदोलन को अभूतपूर्व विस्तार दिया है। 

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